GALL BLADDER(पित्ताशय):-यह थैलीनुमा आकार का अंग होता है, जो लिवर के निचले हिस्से में पाया जाता है, जिसका काम लिवर द्वारा बनाए गए पित्तरस को एकत्रित करना होता है| पित्त रस पाचन में सहायता करता है

  • पित्ताशय की पथरी :-पित्ताशय में पाए जाने वाले छोटे छोटे पत्थरो को गाल ब्लैडर स्टोन कहा जाता है|

अगर पित्ताशय में इन्फेक्शन हो जाएं या स्टोन नली में फंस जाता है, तो पेट के ऊपरी दाएं भाग में दर्द होना, छाती की हड्डी के नीचे दर्द, पेट के बीच में तेज और गहरा दर्द होना, कमर दर्द और दाएं कंधे में दर्द होता है|पथरी का दर्द कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटो या दिनों तक हो सकता है|

  • पित्ताशय में पथरी होने का कारण:- 
  1. पित्ताशय में पाई जाने वाली पथरी कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के कारण होती है एवं बिलीरुबिन एवं कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से होती है
  2. पित्त लवण में कमी के कारण भी पथरी की समस्या हो सकती है|
  • पित्ताशय में पथरी के प्रकार :-
  1. कोलेस्ट्रॉल गॉलस्टोन 
  2. पिगमेंट स्टेन गॉलस्टोन
  3. मिक्सड गॉलस्टोन
  • किन लोगो को पित्ताशय में पथरी की सम्भावना अधिक होती है:
  1. महिलाओ में पुरुषो से अधिक सम्भावना होती है 
  2. 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगो में 
  3. अधिक वसा युक्त पदार्थो का सेवन करना
  4. शुगर की बीमारी होना 
  5. लिवर की बीमारियाँ होना
  • लक्षण :-
  1. तीव्र एवं गहरा दर्दऊपरी दाएं भाग में, पेट के बीच में कमर दर्द, छाती की हड्डी के नीचे, दाएं कंधे मे। 
  2. उल्टी
  3. खट्टी डकार
  4. बदहजमी 
  5. बहुत ज्यादा पसीना आना 
  6. एसिडिटी 
  7. पेट में भारीपन 
  8. कब्ज या दस्त 
  9. पेशाब का रंग गहरा पीला होना
  10. पेट फुलना
  • जटिलताएं:-
  1. पीलिया 
  2. पित्ताशय में सूजन 
  3. पित्तनली में सूजन
  4. अग्नाशय में सूजन 
  5. पित्ताशय में कैंसर
  • गॉलस्टोन का निदान:-
  1. सोनोग्राफी पेट की सोनोग्राफी के द्वारा पित्ताशय की पथरी का आसानी से पता लगाया जा सकता है 
  2. खून की जांच 
  3. पेशाब की जांच
  4. एक्सरे 
  5. सी टी स्कैन
  • इलाज:-

             पित्ताशय की पथरी के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण  जिसमे पित्ताशय  को शरीर से निकल दिया                जाता  है जिसे लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी कहा जाता है|

  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी :-

                        यह लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी सर्जरी है जिसमे पेट में छोटे छेद ( INCH) के माध्यम से पूरी प्रक्रिया कर पित्ताश्य को निकल दिया जाते  है

पित्ताशय में सूजन या पथरी को खत्म करने के लिए आमतौर पर अन्य कोई उपचार प्रभावी नहीं होता है 

  • यह सर्जरी कौन नहीं करवा सकता है :-
  1. जो लोग एनेस्थिया  सहन नहीं कर सकते 
  2. लिवर की बीमारी के अंतिम चरण में 
  3. रक्त स्रव सबंधी विकारो में 
  4. पित्ताश्य के कैंसर में
  • फायदे:-
  1. मरीज को कम दर्द में सर्जरी की प्रक्रिया हो जाती ह। 
  2. अस्पताल में बहुत कम समय के लिए भर्ती होना पड़ता है। 
  3. सर्जरी के बाद न्यूनतम दर्द एवं दवाईया।
  • सर्जरी के बाद ध्यान रखने योग्य बाते:-
  1. कम वसा वाले आहार का सेवन करे 
  2. हल्का भोजन करे पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन 
  3. चाय, कॉफी के सेवन से बचे 
  4. एल्कोहल से परहेज करे 
  5. ज्यादा मीठा खाने से बचे
  6. पर्याप्त मात्रा में पानी पीए